
कल की गलतियां,
आज की सांसे रोकती है,
आज की गलतियां,
आने वाले कल की,
कल और कल के बीच,
बस आज ही है जिसे,
आवाज़ की नदी से धोना है,
और गल्तियां सहेज कर नहीं रखनी है,
चुप्पी के बीच,
छोड़ना नही है,
विरोध करना,
डा अतुल शर्मा
कल की गलतियां,
आज की सांसे रोकती है,
आज की गलतियां,
आने वाले कल की,
कल और कल के बीच,
बस आज ही है जिसे,
आवाज़ की नदी से धोना है,
और गल्तियां सहेज कर नहीं रखनी है,
चुप्पी के बीच,
छोड़ना नही है,
विरोध करना,
डा अतुल शर्मा