western culture
भारत में अक्सर विदेशों से तुलना की जाती है । हमेशा कहा जाता है कि भारत पश्चिमी देश जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस से कई दशक पीछे है । हाँलाकि शिक्षा, स्वास्थ्य व न्याय व्यवस्था में हम काफी हद तक उनके समकक्ष है और हमारा देश अब ट्रिलियन डॉलर क्लब में पांचवें स्थान पर है । हम जल्द ५ ट्रिलीयन डॉलर अर्थव्यवस्था बना चाहते हैं । यह भी सच हैं की भारत में, उनकी तुलना में न के बराबर आविष्कार हुए हैं । पिछले लगभग ९० सालों में वैज्ञानिक आविष्कार के लिए, एक भी नोबेल पुरूस्कार हमें नहीं मिला । हमारे युवा पश्चिमी देशों में लाखों की संख्या में जा रहे हैं और मात्र शिक्षा ही नहीं अपितु नौकरी करके वहीं बस जाना उन्हें खूब भा रहा है । यह, वहाँ पर पनपी सामाजिक एकता को भी दर्शाता है ।
पश्चिम में विकास कैसे हुआ और वहां की संस्क्रीती क्या हैं , इसपर हमें नजर डालने की जरूरत है । विकसित देश बनने के लिए इन देशों को लगभग 700 साल लगे ,यह विकास यकायक नहीं हुआ था । मानव अधिकार के लिए पहली लड़ाई इंग्लैंड में हुई थी । वहां के राजा को जमींदारों के समूह ने संधि करने पर मजबूर किया, उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया के तहत दंड पाने की बात रखी ,एकतरफा कर लगाने और मनमानी करने के राजा के अधिकार को उन्होंने खत्म किया । इस संधि जिसे ”मैग्नाकार्टा 1215 (महान घोषणापत्र) ” कहा गया था, आगे चलकर लोकतांत्रिक परंपरा को कायम करने में यह संधि मील का पत्थर साबित हुई । पश्चिमी देशों से ‘रेनेसांस’ (पुनर्जन्म / नवचेतना) का दौर लगभग १४०० सदी में शुरू हुआ । दर्शन शास्त्री तथा वैज्ञानिकों ने नए फलसफे रखें, यह तर्क और प्रमाण पर आधारित थे। कला, विज्ञान व आविष्कारों का दौर असल में इटली से शुरू हुआ था । वहाँ के अमीरों ने हुनरमंद लोगों को वित्तीय सहायता दी । यह चित्रकारी ,शिल्पकला व सृजन कार्यों का सुनहरा काल था । वैज्ञानिक व खगोल शास्त्री ”गैलीलीयो गली” (इटली) ने खगोल शास्त्री कोपरनिकस के सिद्धांत को बल दिया की सूर्य ,सब ग्रहों का केंद्र हैं ,स्थिर है और धरती उसकी परिक्रमा करती है । गैलीलीयो ने टेलिस्कोप भी बनाया व जूपिटर के उपग्रहों का पता लगाया । विश्व के महानतम आविष्कारकरों में से एक ”लियोनार्डो डा विंची” ने चित्रकारी के अद्भुत नमूने पेश किये , उनका जन्म विवाह बंधन के बाहर हुआ था ,अपने जीवन में उन्होंने कई प्रयोग किये, उनकी चित्रकारी हवाईजहाज ,पैराशूट ,डाइविंग सूट ,टेंक व कई और आविष्कारों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने । अखबार व बैंकों की शुरुवात भी इटली से ही इस काल में हुई, ऐसे कई क्रांतिकारी चीजों से दुनिया में ज्ञान क्रांति की लहर आयी । यूरोप में 1346 से महामारी’’ ब्लैक डेथ’’ का दौर चला और अगले ५सालों में वहां लगभग ढाई करोड़ लोगों की मौत हुई । लंदन की जनसंख्या इस महामारी में आधी हो गयी थी इससे बचने के लिए लोगों ने ‘’सामजिक दूरी’’ (क्वारंटाइन) का प्रयोग शुरू किया । वास्को डा गामा और क्रिस्टोफर कोलंबस ने भारत और अमेरिका के लिए समुद्री मार्ग की खोज की । फ्रांस और ब्रिटेन की लड़ाई सैकड़ों साल तक चली । ब्रिटेन और अमेरिका की लड़ाई में अमरीका विजय हुआ और पूर्ण लोकतंत्र की प्रक्रिया शुरू हुई ।अमरीका उपनिवेश के बेंजामिन फ्रेंकलिन ने बिजली का अविष्कार १७५२ में किया,इसके लिए उन्होंने एक पतंग(उसमे चाबी अटकाई ) को बिजली कड़कने के दौरान उड़ाया और उसके द्वारा बिजली के प्रवाह को दर्शाया । उन्होंने अपने एक भी आविष्कारों का पेटेंट नहीं कराया । उनका मानना था की जब हम दूसरों के आविष्कारों से लाभान्वित होते थे ,तो हमें अपने आविष्कारों का लाभ भी मुफ्त में देना चाहिए । विश्व के 50 से भी ज्यादा देशों पर ब्रिटेन ने अपना कब्जा जमाया । इंग्लैंड में महिला शक्ति ने अपना दबदबा विश्व पटल पर स्थापित किया । रानी विक्टोरिया, रानी एलिजाबेथ व रानी ऍन ने दशकों तक राज किया, । १७५१ में ‘’डिडियर डिडेरोट’’ ने ‘एन्साइक्लोपीडिया’ का निर्माण कर, यूरोप में सामान्य जन के लिए ज्ञान का द्वार खोल दिया । ज्ञान क्रांति के दौर के बाद मशीन व औद्योगिक क्रांति शुरू हुई । इस क्रांति में स्टीम इंजन, हवाई जहाज. एटम बम्ब, अंतरिक्ष यात्रा, कंप्यूटर, इंटरनेट संभव हुआ । बीमारियों के लगने से पहले, उसके रोकथाम( वेक्सीन) की भी पद्धति की शुरुवात हुई। इन कृत्यों ने भारतीय जीवन शैली पर भी छाप छोड़ा है । पश्चिम देशों में मत देने का अधिकार पाने के लिए वहां की महिलाओं विशेषकर ‘अमरीकी महिलाओं’ ने ७० साल तक संघर्ष किया, १९२० में अमरीका में महिलाओं को भी मत देना का विधेयक पास किया गया, यह आंदोलन ”वुमन सुफराज” के नाम से जाना जाता है । पहले विश्वयुद्ध में पुरुषों के युद्ध पर जाने पर बड़ी संख्या में ‘अमरीकी महिलाओं’ ने खेतों ,फैक्ट्रीयों व स्वस्थ्य विभाग में काम किया और अपनी योग्यता साबित की और इस फैसले के लिए सकारात्मक माहौल बनाया था ।
आईये अब ,वहां के लोगों की संस्कृति भी जानते है । अपने अधिकार और जिम्मेदारियों के प्रति वे सजग हैं । बचपन से ही बच्चों को स्वावलम्बन का पाठ अनुभव से सिखाया जाता है । अपने घर के काम खुद करने की आदत बनायी जाती है, इसमें लड़का, लड़की का भेदभाव नहीं हैं । वयस्क होने पर युवा अक्सर अपने जन्म स्थान के घर को छोड़कर स्वतंत्र रूप से रहते । विद्यार्थियों को पढाई करते हुई खाली समय में कोई भी काम(छोटा या बड़ा) करने से परहेज नहीं है । लड़के. लड़कियों को प्रेम प्रसंग( कुछ बंधनों के साथ) के लिए छूट है । इसे तो जवान होने का अंग माना जाता है । वहां इसे, ”डेटिंग” कहा जाता है । स्कूल/ कॉलेजों में विद्यार्थियों को सही उम्र में यौन संबंध जानकारी दी जाती है, विद्यार्थियों के माता-पिता को इस पर आपत्ति नहीं होती । वहाँ की महिलाएं अपने फैसले खुद लेने के लिए स्वतंत्र हैं , अपनी शादी वे प्रेम विवाह से ही करती हैं । विश्व औरअमरीका के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक ‘’बिल गेट्स’’ की बेटी जेनीफर ने मुस्लिम समुदाय के अमरीकी ईजिप्शियन मूल के ”नयेल नस्सर” से विवाह किया है । अमरीका व ब्रिटैन में भारतीय मूल के लोग धूम धाम से दिवाली मनाते हैं। अमरीका की उपराष्ट्रपति कमला हरिस भारतीय मूल की है और ब्रिटेन की वित्त मंत्री ऋषि सुनक भी भारतीय मूल के हैं । वे खेलों के बेहद शौक़ीन होते है । इंग्लॅण्ड की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में तो मुस्लिम,हिन्दू या अफ्रिककी मूल के खिलाड़ी हमेशा मिलेंगे । वहाँ पार्टी /शादी में नृत्य करना एक सामाजिक प्रथा है, इसमें कोई भी लड़का किसी भी लड़की के साथ नृत्य कर सकता है, पार्टी में डांस के लिए पूछने का अधिकार लड़कों को मिलता है तो साथ नाचने के लिए मना करने का भी अधिकार लड़कियों को है । मेज पर खान-पान के सही तरीके अपनाना ,इस बात पर बचपन से ध्यान दिया जाता है । व्यापारिक या आधिकारिक काम पर जाते हुई वे औपचारिक परिधान जैसे ”सूट” पहनते हैं । व्यवसाय के सिलसिले में मुलाक़ात पर महिलाएं पुरुषों से हाथ मिलाकरअभिवादन करती हैं । तलाक होने पर बच्चे के जन्मदिन में पूर्व पति या पत्नी का साथ आना और समारोह को मनाना आम बात है । उन्हें घूमने जाना(वेकेशन)बहुत पसंद है और कमाई हुई दौलत को खर्च करने में ज्यादा विश्वास रखते हैं । वे साधारणतया बोलने की कला में माहिर होते हैं व अपने पसंद के कौशल को सीखने के लिए समय निकालते हैं । क्योंकि वहां , स्वतंत्र तरीके से रहते हैं है तो फादर्स डे/ मदर्स डे मनाने का चलन है । बच्चे अपने मां बाप से मिलने ,साल में एक बार तो अवश्य इकट्ठा होतें हैं ।
लेखक: राजीव मगन
