खुल जाने से
सब कुछ खुल जाने से बहुत कुछ साफ साफ दिखता है फिर वह बातें हों या मुलायम सतह गहरी हैं गुत्थियों की घाटियाँ और दो आंखें है एक मे सुख…
सब कुछ खुल जाने से बहुत कुछ साफ साफ दिखता है फिर वह बातें हों या मुलायम सतह गहरी हैं गुत्थियों की घाटियाँ और दो आंखें है एक मे सुख…
गर्मी भर ढोता रहा रोज़ ईटें पसीने को बेचता रहा जो घर परिवार से दूर वही था जो रोज़ मांगने आता है पानी वह जो बन रहा है मकान उसमे…