
धरती का आँचल लहराता है,
पुष्पों की सुगंध से मन खिल जाता है,
वर्षा की बूंदों से धरती गीली होती है,
धरातल हरियाली से भर जाता है,
अम्बर नीला चिड़ियों से भर जाता है,
मेरा मन भी चंचल पक्षी बनकर,
नील गगन पर उड़ना चाहता है।
कवयित्री
माधवी
धरती का आँचल लहराता है,
पुष्पों की सुगंध से मन खिल जाता है,
वर्षा की बूंदों से धरती गीली होती है,
धरातल हरियाली से भर जाता है,
अम्बर नीला चिड़ियों से भर जाता है,
मेरा मन भी चंचल पक्षी बनकर,
नील गगन पर उड़ना चाहता है।
कवयित्री
माधवी