
बर्फ से घिरे ठिठुरते गाँव मे पूछो,
आग का अर्थ
पेड़ों से टपक रही है बूंदें,
सुबह सुबह सूरज भी है,
बादलों की रजाई मे,
सो रहे है लोग
ऐसे मे
पगडंडियों से बात कर रहे हैं,
मांजी और इजा के पैर,
चढ़ चुकी हैं चटाइयाँ,
थक गयी है सांसे,
चूल्हे की आग के लिए,
आग का रंग
किसके जैसा है,
आग सा,
सूरज सा,
या
बोछा लदी पीठ सा,,,
डा अतुल शर्मा