
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की दारमा घाटी के दांतु गांव में उत्तराखंड की महिला जसुली दताल ने अपनी सारी दौलत दान में दे दी थी. इस वजह से उनको राज्य की महान दानवीर महिला कहा जाता है. जसुली ने नेपाल, भारत और तिब्बत में 500 से ज्यादा धर्मशालाओं का निर्माण कराया, जिसमें से 300 धर्मशाला भारत में कैलाश मानसरोवर जाने वाले रास्ते में बनाई गईं, जो आज भी देखी जा सकती हैं. उनके द्वारा बनाई धर्मशालाएं राहगीरों के रात बिताने के लिए काफी मददगार थी. यह धर्मशाला मैदानी इलाकों से लेकर पहाड़ी इलाकों तक बनवाई गई थीं. सड़क मार्ग बन जाने के बाद अब यह धर्मशालाएं उपेक्षित हैं और खंडहर का रूप ले रही हैं.
धारचूला से लेकर हल्द्वानी तक लगभग 300 धर्मशालाओं का निर्माण करवाने वाली इस दानवीर महिला के व्यापारी पति के पास अथाह धन था. यह दौलत महिला के पति ने बोरों में भरकर रखी थी. पति और बेटे की असमय मौत के बाद जसुली देवी काफी हताश हो गयी और उन्होंने अपना सारा धन बहती नदी के जल में चढ़ाना शुरू कर दिया. उस वक्त कुमाऊं के कमिश्नर रैमजे का काफिला दारमा क्षेत्र में पहुंचा और उन्होंने देखा कि एक महिला सोने के सिक्कों को नदी में बहा रही है. तब रैमजे तुरन्त जसुली देवी के पास पहुंचे और इस धन का इस्तेमाल विभिन्न पैदल मार्गों पर धर्मशालाएं बनवाकर जनसेवा में करने की सलाह दी. इसके बाद जसुली दताल ने अपने सारे धन से धर्मशालाओं का निर्माण करवाया. ये धर्मशालाएं उन मार्गों पर बनाई गईं, जिनसे भोटिया व्यापारी आवागमन किया करते थे.
गांव में है जसुली देवी का मंदिर
दांतू गांव के रहने वाले जसुली दताल के वंशज हितेश ने बताया कि आज गांव में जसुली देवी का मंदिर भी बना है. जिस समय लोगों के पास पैसे देखने तक को नहीं होते थे, उस समय जसुली देवी के पास अथाह धन था और अपनी सारी संपत्ति को दान करके वह उत्तराखंड की महान दानवीर महिला कहलाई. साथ ही बताया कि जसुली देवी द्वारा बनाई गई धर्मशालाएं अल्मोड़ा से हल्द्वानी, अल्मोड़ा से भिकियासैंण, भिकियासैंण से रामनगर, भिकियासैंण से गढ़वाल, अल्मोड़ा से बागेश्वर, अल्मोड़ा से लोहाघाट, अल्मोड़ा से बेनीनाग थल, पिथौरागढ़ से धारचूला, दारमा, पिथौरागढ़ से टनकपुर और टनकपुर से महेन्द्र नगर में बनवाई गई थीं
.रंग कल्याण समिति के समन्वयक रवि पतियाल ने बताया कि रंग कल्याण समिति इन धर्मशालाओं की जीर्ण शीर्ण हालत को सुधारने का प्रयास कर रही है. अभी वर्तमान में पिथौरागढ़ के सतगड़ और काकड़ी घाट के पास धर्मशालाओं की स्थिति को सुधारा गया है. यह धर्मशाला 8 से 10 कमरों के बीच हुआ करती थी. रंग कल्याण समिति काफी समय से शासन से इन धर्मशालाओं को संरक्षित और पुरात्तव धरोहर घोषित करने की मांग करते आ रही है.