
अब खिड़की के बाहर
अलग मौसम है
और खिड़की के अंदर अलग
सांसे है और दृष्य भी
आनन्द भी और दुख भी
खिलखिलाते प्रहर
रोशनी और रंग भी
बाहर आकाश
और भीतर
चांद देखने वाले लोग
मौसम
खिड़की पर
है
पलकें मूंदे
डा अतुल शर्मा
अब खिड़की के बाहर
अलग मौसम है
और खिड़की के अंदर अलग
सांसे है और दृष्य भी
आनन्द भी और दुख भी
खिलखिलाते प्रहर
रोशनी और रंग भी
बाहर आकाश
और भीतर
चांद देखने वाले लोग
मौसम
खिड़की पर
है
पलकें मूंदे
डा अतुल शर्मा