
हर तरह के लेख लिखती लेखनी।
भिन्न-भिन्न से अनुभव करती लेखनी।।
मन के हर सुख-दुख के भेद खोलती है,
कदम-कदम पर साथ हमारा देती हेै,
दिल की बाते कागज पर लिख जाती है,
लोगो की कल्पना को वास्तविकता दे जाती है,
कभी तो शब्दों के हेर फेर से सबको उलझाती है,
इसकी ये अटखेलियां अब है देखनी ।
हर तरह के लेख लिखती लेखनी।।
हमारी भाषा को एक आकार देती है,
किसी को अच्छा तो किसी को बुरा परिणाम देती है,
लेकिन ये सब इस बात पर भी निर्भर करता है,
कि लेखनी किसके हाथ में रहती है,
तभी तो कहते है रंग बदलती लेखनी ।
भिन्न-भिन्न से अनुभव करती लेखनी।।
जिसके हाथ उसी की भाषा,
अच्छा इंसान हो तो आशा ही आशा,
इंसान बुरा हो तो होगी बस ईष्र्या,
दुखी होगा तो निराशा -निराशा,
संत के पास हो तो ज्ञान की मधुशाला,
ढ़ोंगी फरेबी हो तो स्वार्थ का प्याला,
अच्छी सोच गृहण करके बुरी सोच हे फेंकनी।
तभी जीवन होगा सफल और सुन्दर लेख लिखेगी लेखनी।।
स्वाती नेगी